Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: कैसे छत्रपति बने शिवाजी महाराज | Best info

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: कैसे छत्रपति बने शिवाजी महाराज


Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) ने शुरू से कुशल रणनीति और युद्धनीति का सहारा लेकर मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) की नींव रखी. उन्होंने बीजापुर और मुगलों का विरोध झेलते हुए चतुर राजनीति के जरिए दुश्मनों को अपने सामने टिकने नहीं दिया. कई बार अपने विरोधियों को अपने साथ शामिल करने के लिए उन्होंने विवाह नीति तक अपनाई, तो कभी पीछे हटे और मुगलों तक से संधि की और 1674 में छत्रपति (Chatrapati) बने और दक्षिण तक अपना साम्राज्य फैलाया.

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022

भारतीय इतिहास के मुगलकाल में मराठाओं ने जो देश के लिए योगदान दिया है उसमें सबसे प्रमुख छत्रपति शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. देश आज शिवाजी महाराज की 392 जन्मदिवस मना रहा है. शिवाजी महाराज ने मुगलों (Mughals) से लोहा लेकर देश में राष्ट्रवाद की भावना जगाते हुए जनमानस में ऐसा आत्मविश्वास जगाया था जो आज भी लोगों को प्रेरणा और उत्साह से भर देता है. उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष कर अपने मराठा साम्राज्य का स्थापना करते हुए जीवन भर मुगलों की नाक में दम करके रखा था.

भारतीय इतिहास के मुगलकाल में मराठाओं ने जो देश के लिए योगदान दिया है उसमें सबसे प्रमुख छत्रपति शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. देश आज शिवाजी महाराज की 392 जन्मदिवस मना रहा है.

शिवाजी महाराज ने मुगलों (Mughals) से लोहा लेकर देश में राष्ट्रवाद की भावना जगाते हुए जनमानस में ऐसा आत्मविश्वास जगाया था जो आज भी लोगों को प्रेरणा और उत्साह से भर देता है. उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष कर अपने मराठा साम्राज्य का स्थापना करते हुए जीवन भर मुगलों की नाक में दम करके रखा था.

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Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022


शिवाजी भोंसले महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनके पिता शाहजी भोंसले एक शक्तिशाली और प्रभावी सामंत थे. शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई का बहुत प्रभाव था. उनमें वीरता के संस्कार माता जीजाबाई ने ही भरे थे. संभाजी शिवाजी के बड़े भाई थे.

शिवाजी भोंसले महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनके पिता शाहजी भोंसले एक शक्तिशाली और प्रभावी सामंत थे. शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई का बहुत प्रभाव था. उनमें वीरता के संस्कार माता जीजाबाई ने ही भरे थे. संभाजी शिवाजी के बड़े भाई थे.

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) के पिता शाहजी (Shahji) को बीजापुर के आदिलशाह से पूना की जागीर मिली थी. इसके बाद बंगलोर की जिम्मेदारी मिलने पर शाहजी ने दादोजी कोंडोदादेव को वहां का प्रशासन सौंपा जिनकी मृत्यु के बाद शिवाजी ने वह जिम्मेदारी संभाली. 16 साल की उम्र में ही शिवाजी ने टोरना किले पर कब्जा कर अपना अभियान शुरू किया. इसके दो साल के अंदर शिवाजी ने पुने के आसपास के पुरंधर, कोंढाना और छाखन जैसे अहम किले अपने कब्जे में ले लिए और अपने अभियान कोंकण तक फैला दिया.

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022


शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) के पिता शाहजी (Shahji) को बीजापुर के आदिलशाह से पूना की जागीर मिली थी. इसके बाद बंगलोर की जिम्मेदारी मिलने पर शाहजी ने दादोजी कोंडोदादेव को वहां का प्रशासन सौंपा जिनकी मृत्यु के बाद शिवाजी ने वह जिम्मेदारी संभाली. 16 साल की उम्र में ही शिवाजी ने टोरना किले पर कब्जा कर अपना अभियान शुरू किया. इसके दो साल के अंदर शिवाजी ने पुने के आसपास के पुरंधर, कोंढाना और छाखन जैसे अहम किले अपने कब्जे में ले लिए और अपने अभियान कोंकण तक फैला दिया.

 

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बीजापुर (Bijapur) के आदिलशाह ने इन घटनाओं के बाद शिवाजी के(Chatrapati Shivaji Maharaj) पिता को जुलाई 1648 को कैद कर लिया. जिन्हें 1649 में छोड़ा गया. पिता के कैद होने पर शिवाजी ने अपने अभियान का विस्तार रोक दिया और 1655 तक खुद को मजबूत करने में लगे रहे. वे एक बहुत ही कुशल रणनितिकार और राजनीतिज्ञ थे. 1656 से उनका बीजापुर के दूसरे सामंतों से संघर्ष हुआ और उन्होंने कूटनीति का सहारा लिया और कई सामंतों की लड़कियों से विवाह करने की नीति अपनाई. शिवाजी ने अपने जीवन में 8 विवाह किए थे.

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 बीजापुर (Bijapur) के आदिलशाह ने इन घटनाओं के बाद शिवाजी के(Chatrapati Shivaji Maharaj) पिता को जुलाई 1648 को कैद कर लिया. जिन्हें 1649 में छोड़ा गया. पिता के कैद होने पर शिवाजी ने अपने अभियान का विस्तार रोक दिया और 1655 तक खुद को मजबूत करने में लगे रहे. वे एक बहुत ही कुशल रणनितिकार और राजनीतिज्ञ थे. 1656 से उनका बीजापुर के दूसरे सामंतों से संघर्ष हुआ और उन्होंने कूटनीति का सहारा लिया और कई सामंतों की लड़कियों से विवाह करने की नीति अपनाई. शिवाजी ने अपने जीवन में 8 विवाह किए थे.

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1657 में शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) की मुगलों (Mughals) से पहली मुठभेड़ हुई जिसमें उनकी जीत हुई. इससे पहले दक्षिण के अभियान में निकला औरंगजेब ज्यादाकुछ कर पाता, शाहजहां की बीमारी के कारण उसे दिल्ली लौटना पड़ा. मुगलों से कई इलाकों को छीनने के बाद 1659 में आदिल शाह की सेना के साथ प्रतापगढ़ किले पर शिवाजी का युद्ध हुआ जिसमें शिवाजी विजयी हुए.

लेकिन औरंगजेब (Aurangzeb) के दिल्ली की गद्दी हासिल करने के बाद उसने शाइस्का खान को डेढ़ लाख सैनिकों के साथ शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा. शाइस्का खान ने पूना और शिवाजी के लाल महल पर कब्जा कर लिया. लेकिन जल्दी ही शिवाजी ने छापामार तकनीक से हमला कर शाइस्का खान को घायल कर उसे भगा दिया.

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1657 में शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) की मुगलों (Mughals) से पहली मुठभेड़ हुई जिसमें उनकी जीत हुई. इससे पहले दक्षिण के अभियान में निकला औरंगजेब ज्यादाकुछ कर पाता, शाहजहां की बीमारी के कारण उसे दिल्ली लौटना पड़ा. मुगलों से कई इलाकों को छीनने के बाद 1659 में आदिल शाह की सेना के साथ प्रतापगढ़ किले पर शिवाजी का युद्ध हुआ जिसमें शिवाजी विजयी हुए.

लेकिन औरंगजेब (Aurangzeb) के दिल्ली की गद्दी हासिल करने के बाद उसने शाइस्का खान को डेढ़ लाख सैनिकों के साथ शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा. शाइस्का खान ने पूना और शिवाजी के लाल महल पर कब्जा कर लिया. लेकिन जल्दी ही शिवाजी ने छापामार तकनीक से हमला कर शाइस्का खान को घायल कर उसे भगा दिया.

इसके बाद औरंगजेब (Aurangzeb) ने राजा जयसिंह को शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) पर नियंत्रण करने के लिए भेजा. कम सैनिकों के बाद भी जयसिंह शिवाजी को कमजोर करने में सफल रहा और शिवाजी को समझौता करने पर मजबूर किया. 11 जून 1665 को हुई पुरंधर की संधि (Treaty of Purandhar) में शिवाजी को जीते हुए 23 किले मुगलों को देने पड़े और उनके पास केवल 12 किले रह गए. इतना हीनहीं चार लाख सोने की मुद्रा देने के अलावा उन्हें संभाजी को मुगलों के दक्षिण के अभियान में मदद करने के लिए भेजना पड़ा

इसके बाद औरंगजेब (Aurangzeb) ने राजा जयसिंह को शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) पर नियंत्रण करने के लिए भेजा. कम सैनिकों के बाद भी जयसिंह शिवाजी को कमजोर करने में सफल रहा और शिवाजी को समझौता करने पर मजबूर किया. 11 जून 1665 को हुई पुरंधर की संधि (Treaty of Purandhar) में शिवाजी को जीते हुए 23 किले मुगलों को देने पड़े और उनके पास केवल 12 किले रह गए. इतना हीनहीं चार लाख सोने की मुद्रा देने के अलावा उन्हें संभाजी को मुगलों के दक्षिण के अभियान में मदद करने के लिए भेजना पड़ा. (फाइल फोटो)

1666 औरंगजेब (Aurangzeb) ने शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) को आगरा बुलाया और उन्हें संभाजी को कैद कर लिया. लेकिन शिवाजी अपने पुत्र के साथ वहां से भाग निकले. इसके बाद हुए समझौतों में औरंगजेब ने शिवाजी को राजा का ओहदा दिया. लेकिन 1670 के बाद दक्कन में से औरंगजेब को अपनी ताकतकम करनी पड़ी. इसका फायदा उठा कर शिवाजी ने सूरत पर हमला किया. इसके बाद शिवाजी ने मुगलों को दिए हुए अपने सभी किले वापस हासिल किए और 1674 में छत्रपति बन गए.

Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 : 1666 औरंगजेब (Aurangzeb) ने शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) को आगरा बुलाया और उन्हें संभाजी को कैद कर लिया. लेकिन शिवाजी अपने पुत्र के साथ वहां से भाग निकले. इसके बाद हुए समझौतों में औरंगजेब ने शिवाजी को राजा का ओहदा दिया. लेकिन 1670 के बाद दक्कन में से औरंगजेब को अपनी ताकतकम करनी पड़ी. इसका फायदा उठा कर शिवाजी ने सूरत पर हमला किया. इसके बाद शिवाजी ने मुगलों को दिए हुए अपने सभी किले वापस हासिल किए और 1674 में छत्रपति बन गए.

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