hanuman chalisa pdf | Best info 2023

hanuman chalisa pdf


दोस्तों आज का आर्टिकल में हम आपको हनुमान चालीसा पीडीएफ hanuman chalisa pdf दिखाने वाले हैं तो आप यहां पर डाउनलोड भी कर सकते हैं उसकी कुछ चौपाइयां आप यहां पर देख भी सकते हैं तो यहां पर हमने नीचे हनुमान चालीसा hanuman chalisa pdf के कुछ चौपाइयां लिखी है साथी साथ नीचे हमने आपके लिए हनुमान चालीसा की पीडीएफ भी दी है तो आप सिंपली इस पर क्लिक करके हनुमान चालीसा की पीडीएफ डाउनलोड भी कर सकते हैं।


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दोस्तों हनुमान चालीसा हिंदू धर्म की भक्ति का भजन का एक स्त्रोत है और इसमें से चौपाई जो लिखी हुई है वह तुलसीदास दुबे द्वारा लिखित है इन्होंने रामचरितमानस भी लिखा हुआ है तो रामचरितमानस कुछ विवादों में भी आ चुका है अभी-अभी नया मामला आप जानते ही होंगे।


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हनुमान चालीसा में 40 छंद दिए गए हुए हैं और शुरुआत और अंत के दोहे छोड़कर इसमें 40 छंद दिए गए हुए हैं जिसे आप नीचे पढ़ भी सकते हैं और साथ ही साथ हनुमान चालीसा का पीडीएफ hanuman chalisa pdf डाउनलोड भी कर सकते हैं तो यह रहे कुछ हनुमान चालीसा के दोहे जिसे आप पढ़ सकते हैं और अपना मन शांत कर सकते हैं।


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श्री हनुमान चालीसा ॥ hanuman chalisa pdf


श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥


बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥


महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा ॥


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥ संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बंदन ॥


विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे ॥


लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा ॥


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥


तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥ जुग सहस्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥ दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥


राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रच्छक काहू को डरना ॥


साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ॥


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता ॥ राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा ॥


तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥


अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥


और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥


जै जै जै हनुमान गोसांई कृपा करहु गुरु देव की नांई ॥ जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥


जो यह पढ़े हनुमान चलीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा॥


तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥


दोहा


पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥


॥ सियावर रामचन्द्र की जय ॥


॥ पवनसुत हनुमान की जय ॥


॥ उमापति महादेव की जय ॥


॥ बोलो रे भई सब सन्तन की जय ॥


आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥


नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥


सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥ और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै ॥


चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥




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